संकट मोचन हनुमान अष्टक – लाभ, अर्थ व पाठ विधि
लेखक: गोस्वामी तुलसीदास जी
🔰 प्रस्तावना: संकट मोचन हनुमान अष्टक क्या है?
संकट मोचन हनुमान अष्टक एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह अष्टक भगवान हनुमान को समर्पित है जो “संकट मोचन” — अर्थात् सभी बाधाओं, कष्टों और संकटों को दूर करने वाले कहलाते हैं।
यह अष्टक उन कठिन परिस्थितियों में आश्रय का कार्य करता है जब जीवन में आशा क्षीण हो जाती है। यह भक्त और भगवान हनुमान के बीच आत्मिक प्रार्थना का सेतु है।
📜 अष्टक की रचना
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कुल 8 श्लोक (अष्टक = आठ पद)
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अवधी एवं संस्कृत शैली का समन्वय
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प्रत्येक श्लोक में श्री हनुमान के पराक्रम और रक्षा की प्रार्थना
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प्रत्येक अंत में आता है: “नाथ न कोई आन बस मैं…”
संकट मोचन हनुमान अष्टक हिंदी/संस्कृत लिरिक्स
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों I
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो I
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो I
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो I
चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो I
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो I को
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को
रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो I
चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को
बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सूत रावन मारो I
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I
आनि सजीवन हाथ दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो I को
रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो I
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो I को
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो I
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को
काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो I
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो I को
दोहा
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II
🌟 संकट मोचन हनुमान अष्टक के चमत्कारी लाभ
✅ 1. संकटों से तत्काल राहत
विपत्ति, शत्रु बाधा, मुकदमे, रोग या भय की स्थिति में यह अष्टक तत्काल रक्षा कवच प्रदान करता है।
✅ 2. नकारात्मक ऊर्जा व बुरी दृष्टि से रक्षा
इसका पाठ शारीरिक व मानसिक सुरक्षा के साथ दृष्ट दोष और भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करता है।
✅ 3. ग्रह दोष और शनि प्रभाव में कमी
विशेष रूप से शनि, राहु, केतु के दुष्प्रभाव को कम करने में यह अष्टक सहायक माना गया है।
✅ 4. मानसिक शांति और साहस की प्राप्ति
आवाज़ और उच्चारण की ऊर्जा से चिंता दूर होती है और आत्मबल प्राप्त होता है।
✅ 5. हनुमान जयंती और मंगलवार को विशेष फलदायी
हनुमान जयंती, मंगलवार और शनिवार को पाठ करने से अति शुभ फल प्राप्त होते हैं।
🙏 कैसे करें संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ?
चरण | विवरण |
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🕰️ समय | प्रातःकाल या संध्या, विशेषकर मंगलवार/शनिवार |
📍 स्थान | स्वच्छ पूजास्थल या हनुमान मंदिर |
🪔 पूजन सामग्री | दीपक, सिंदूर, लाल फूल, गुड़-चना |
🙏 विधि |
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दीपक जलाएं
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श्री हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें
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“ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जप करें
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पूरे भाव से अष्टक का पाठ करें
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अंत में हनुमान आरती करें
📖 संकट मोचन हनुमान अष्टक – मूल पाठ
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🙋♂️ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
❓ संकट मोचन का अर्थ क्या है?
उत्तर: संकट = समस्या या कष्ट, मोचन = मुक्ति।
भगवान हनुमान को संकट मोचन कहा गया है क्योंकि वे अपने भक्तों को हर संकट से मुक्ति दिलाते हैं।
❓ संकट मोचन हनुमान अष्टक किसने लिखा?
उत्तर: यह अष्टक गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है, जो हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के रचयिता भी हैं।
❓ क्या अष्टक का पाठ रोज कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ। दैनिक पाठ से आत्मबल और संकट निवारण की शक्ति मिलती है।
❓ क्या यह हनुमान चालीसा से अधिक शक्तिशाली है?
उत्तर: दोनों की महिमा अपार है। अष्टक विशेष रूप से संकट निवारण हेतु और चालीसा सामान्य स्तुति हेतु है।
❓ पाठ का सर्वोत्तम समय कब है?
उत्तर: मंगलवार, शनिवार, हनुमान जयंती, या संकट काल में।
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